कृषि के माध्यम से निरंतर प्रगती करना
खाद्यान्न, भोजन, रेशे और ईंधन की साझी ज़रूरत को पूरा करने के लिए पर्यावरणीय रूप से निरंतर, आर्थिक रूप के व्यवहार्य, सामाजिक रूप से ज़िम्मेदार तरीके से कृषि उत्पादन को बढ़ने के वैश्विक कार्य- योजना की ज़रूरत है.
इस समाधान के मूल में किसान है – वे ही हमारे लिए फसल उगाते है, ज़मीन का प्रबंधन करते है और जायवविविधता की रक्षा करते है. १९५० से लेकर अब तक जनसंख्या में लगभग तीन गुना वृद्धि हुई है. २०३० तक, जनसंख्या में १७० करोड़ तक और वृद्धि हो जाएगी, जिसमें अधिकांश लोग विकासशील देशों में होंगे. इस सच्चाई का सामना करने के लिए, दुनिया के किसानों को २०५० तक पैदावार को दुगुना या तिगुना करना होगा. लेकिन कृषि नीतियों ने किसानों की ख़ास तौर पर छोटे किसानों की महत्त्वपूर्ण भूमिका को नज़रअंदाज कर दिया है, जो वे निरंतर विकास को सच्चाई में बदलने में निभा सकते है. विकास के दबाव अत्याधिक गंभीर है. २०३० तक, जनसंख्या के मुकाबले कृषि योग्य ज़मीन का अनुपात ५५% तक कम होने का अनुमान है. २०२५ तक, १८० करोड़ लोग पानी की गंभीर कमी के साथ जियेंगे. इसके साथ साथ, जलवायू परिवर्तन प्रादेशिक और वैश्विक खाद्य आपूर्ति के लिए ख़तरा बन जाएगा. विकासशील देशों के करोड़ो लोगों की बुनियादी जीविका पर ख़तरा मंडराने लगेगा.
सिद्धांत
प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा करना
ज़मीन को उपयोग करने की टिकाऊ पद्धतियों को बहुतायत से अपनाने के माध्यम से भूमि प्रबंधन को बेहतर बनाया जा सकता है.
– भू क्षरण और भू अवनती को रोकने के लिए कृषि संरक्षण उपयोग किया जा सकता है.- पानी के तालाबों और पानी के उपयोग का ज़्यादा अच्छी तरह प्रबंधन करना चाहिए.
– एकीकृत पारिस्थितिक तंत्र तरीके द्वारा वन्य जीवन और जैव विविधता को बचाना- पारिस्थितिक तंत्र की सेवाएँ बेहतर बनाने के लिए प्रोत्साहन देना
वैज्ञानिक जानकारियों का प्रचार करना
दूरस्थ देसी समुदायों सहित वैश्विक कृषि को बेहतर बनाने के लिए आवश्यक अधिकतर जानकारी मौजूद होने के बावजूद, यह अक्सर उन किसानों तक नही पहुँचती जिनको इनकी सबसे ज़्यादा ज़रूरत होती है.
– किसानों के लिए फसलों पर शिक्षा और प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन का स्तर बढ़ाना
– ग्राम आधारित जानकारी केंद्रों के विकास को बढ़ावा देना
– किसानों के लिए मौसम, फसल और मार्केट की चेतावनियों के साथ साथ जल्दी चेतावनी देने वाली प्रणालियों के लिए पाने योग्य जानकारी की तकनीकों तक पहुँच प्रदान करना ताकि टिकऊपन और उत्पादकता के लिए उन्हे सही फ़ैसला लेने में मदद मिल सके.
– खुला और दो- तरफ़ा आदान प्रदान स्थापित करना जो नीति निर्धारण और क्रियान्वन की प्रक्रिया में ‘किसान की आवाज़’ शामिल कर सके.
स्थानीय संसाधन विकसित करना
किसानों को उनकी उत्पादन प्रक्रिया का ज़्यादा विश्वसनीयता और कम लागत में प्रबंधन करने में मदद देने के लिए उन्हे बुनियादी संसाधन उपलब्ध होने चाहिए.
– ख़ास तौर पर महिला किसानों के लिए भूमि और जल संसाधनों तक पहुँच सुरक्षित करना
– लघु वित्त सेवाओं, ख़ास तौर पर लघुऋण तक ग्रामीण पहुँच प्रदान करना
– किसानों के लिए आपूर्ति उपलब्ध कराने हेतु- ढाँचागत विकास – ख़ास तौर पर सड़कों और बंदरगाहों का निर्माण करना
– मशीनी उपकरणों, बीजों, खाड़ों और फसल सुरक्षा सामग्रियों सहित कृषि इनपुट्स और सेवाओं तक पहुँच बेहतर बनाना
– जानकारी और आपूर्ति किसानों की हाथ तक पहुँचने की पुष्टि करने के लिए अनेक स्थानीय कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर काम करना और प्रोत्साहन देना
– जहाँ पर जैवईंधन ऊर्जा की बचत और ग्रामीण विकास में योगदान देता है, वहाँ जैवईंधन में निवेश करें
कटी हुई फसल की सुरक्षा करना
अधिकतर ग़रीब देशों में, कटाई के पहले और बाद में अपर्याप्त इंतज़ाम होने के कारण फसल की उपज का २०-४०% नुकसान होता है. इसी तरह से, खाद्य शृंखला के उत्पादन और खपत के चरणों के दौरान खाद्यान्नों की बहुत बड़ी मात्रा बर्बाद होती है.
– खाद्यान्नों के संग्रहण के लिए शीतगृहों सहित स्थानीय भंडारण संयंत्रो और परिवहन प्रणालियों को बनाना
– कृषि संबंधी जानकारी, कीटन को पहचानने और मौसम संबंधी जानकारी को स्थानीय रूप से लागू करना
– टिकाऊ खपत और उत्पादन की ज़रूरतों और व्यवहरों के बारे में जनता को शिक्षित करना
– मौसम और मार्केट के उतार चढ़ावों का प्रबंधन करने में किसानों को सहयोग देने वाले जोखिम प्रबंधन साधन प्रदान करना
बाज़ारों तक पहुँच आसान बनाना
किसानों को अपने उत्पाद मार्केट तक पहुँचने और ज़रूरत होने पर उन्हे उचित कीमत की योग्यता मिलनी चाहिए.
– दूरस्थ क्षेत्रों तक मार्केट की कीमतों की ताज़ातरीन जानकारी पहुँचाना
– पारदर्शी जानकारी, उचित कीमतों, मजबूत बुनियादी विकास और कम अटकलबाज़ियों के मध्यम से मार्केटों का बढ़िया क्रियान्वयन विकसित करना
– छोटे किसानों के लिए मार्केटिंग के सहकारी तरीकों को प्रोत्साहित करना
– उद्योगपति प्रशिक्षण के माध्यम से छोटे किसानों की मार्केटिंग योग्यताओं को बेहतर बनाना
– दुनिया भर में कृषि के सभी स्तरों के लिए अवसर बढ़ाने की खातिर मार्केट की कमियों को कम करना
शोध अनिवार्याताओं को प्राथमिकता देना
टिकाऊ खेती पानी के लिए स्थानीय रूप से प्रचलित फसलों, प्रबंधन तकनीकों और जलवायु परिवर्तन अपनाने को प्राथमिकता देकर गहन निरंतर शोध की आवश्यकता है.
– पानी की उपलब्धता, मिट्टी के उपजाऊपन और कटाई के बाद वाले नुक़सानों के साथ साथ जलवायु प्रबंधन की चुनौतियों से संबंधित कृषि संबंधी शोध संचालित करना
– एकदम ग़रीब और सबसे ज़्यादा ज़रूरतमंद क्षेत्रों के लिए ज़रूरी फसल की क़िस्मों पर शोध संचालित करना
– किसानों की ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए किसान केंद्रित शोध को बढ़ावा देना
– विज्ञान और तकनीक के ज़िम्मेदार उपयोग के माध्यम के उपज बढ़ाना
– एकीकृत समाधानों के आसपास सार्वजनिक – निजी शोध सहकर्या स्थापित करना
– प्रासंगिक आर एंड दी के लिए सरकारी और व्यापारिक संघटनों से निवेश बढ़ाना
क्रियाविधि के लिए आवाहन
फार्मिंग फर्स्ट नीति – निर्माताओं और व्यवसाइयों के लिए वैश्विक कृषि की स्थानीय रूप से टिकाऊ कीमत वाली कड़ी विकसित करने के लिए क्रियाविधि का आवाहन प्रदान करता है. यह किसानों को लघु उदयाग व्यावसायी बनाने में सहायता देने पर केंद्रित जानकारी नेटवर्क और नीतियों की ज़रूरत पर ज़ोर देता है. टिकाऊ विकास के लिए यह छ: परस्पर संबंधित आवश्यकताओं का प्रस्ताव रखता है.
निरंतर विकास के लिए किसानों को नीति निर्धारण के केंद्र में लाना मौलिक है.
सरकारी, व्यापारिक, वैज्ञानिक और नागरिक सामाजिक समूहों को हमारे खाद्य सुरक्षा के स्रोत पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. इन सभी समूहोंको एक साथ मिलकर लाखों किसान परिवारों, ख़ास तौर पर छोटी छोटी ज़मीनों वाले किसानों को, प्रभावशाली मार्केटों, ज़्यादा सहयोगी शोधों और और समर्पित रूप से जानकारी प्रदान करने के माध्यम से लगातार ज़्यादा फसल उगाने की क्षमता प्रदान करनी चाहिए.
कृषि विकास के लिए बहू आयामी, जानकारी आधारित उपाय की ज़रूरत है.
इस तरीके की शुरुआत किसानों और अपनी ज़मीन का प्रबंधन करने, फसल उगाने, अपनी फसलों को लाने और मार्केट तक पहुँचने पर ध्यान केंद्रित करने से होती हैं. पिछली आधी शताब्दी में आधुनिक कृषि तकनीकों और प्रबंधन उपायों द्वारा खाद्यान्न उपज दुगुनी किए जाने के बावजूद, कई छोटे किसान जीविका के सबसे बुनियादी स्तर को हासिल करने के लिए संघर्ष कर रहें हैं. कृषि की ज़्यादा उपज देते हुए ज़्यादा टिकऊपन हासिल करने के लिए नये निवेशों, प्रोत्साहानों और नई पद्धतियों की ज़रूरत हे. हमारे साझे पर्यावरण, जैव विविधता और पारिस्थितिक तंत्र के संरक्षकों के रूप में किसानों की भूमिका पहचानते हुए ये लाभ सभी किसानों तक पहुँचाने जाने चाहिए. विचारधारा मे मूल परिवर्तन की ज़रूरत है जिसमे ठोस और टिकाऊ कृषि पद्धतियों के केंद्र में किसान होना चाहिए.
निरंतर बढ़िया फसल से ज़्यादा पैदावार देने वाला ये तरीका ज़्यादा उचित और कुशल कृषि प्रणालियों की ओर भी ले जाने वाला होना चाहिए. बेहतर कार्यकुशल मार्केटों के साथ बेहतर कृषि प्रणाली खाद्य सुरक्षा, उचित मूल्य और बेहतर भूमि प्रबंधन प्रदान करके बेहतर आर्थिक विकास में योगदान देगी.
सफल होने के लिए कोई भी नया तरीका स्थायी नीति पर्यावरण पर आधारित होना चाहिए जिसमे किसान काम और निवेश कर सके. इसके बदले में, कृषि के विकास, राष्ट्रीय वित्तीय विभाजन बढ़ने के लिए; विकासशील देशों में कृषि क्षेत्र की ओर आंतरराष्ट्रीय विकास सहयोग देने के लिए; और कृषि कार्यक्रमों को बनाने एवं लागू करने में विस्तृत स्टेकधारक परामर्श प्रक्रियाएँ शुरू करने के लिए हमें स्थाई, दीर्घ अवधि नीति और नियामक ढाँचा स्थापित करना होगा.
सहायक संगठन
क्रॉप लाइफ इंटरनॅशनल
इंटरनॅशनल फेडरेशन ऑफ आग्रिकल्चरल प्रोड्यूसर्स
इंटरनॅशनल काउन्सिल फॉर साइन्स
इंटरनॅशनल फर्टिलाइज़र इंडस्ट्री एसोसिएशन